संजय राउत ने सामना में लिखा है की नई इमारत गोमुखी हो इस तरह की सलाह भी ज्योतिषियों ने दी थी। ज्योतिषियों के अनुसार, नई इमारत को बनवाया गाय। क्यों की पुराने संसद में 10 साल बाद कोई नहीं टिकता, एक तरफ हमारे वैज्ञानिक चांद पर पहुंच गए और उसी देश के नेता सत्ता न चली जाए इस डर से नए संसद भवन का निर्माण कराते हैं।
देशभर के नेताओं के अलग-अलग बयान
देश की नई संसद की इमारत को लेकर अब तक देशभर के नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ चुके हैं। इसी कड़ी में शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत का बयान आया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के जरिए संजय राउत ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, “ऐतिहासिक संसद भवन पर तो ताला लग गया, लेकिन नई इमारत में क्या इतिहास बन पाएगा? इस तरह की महान शख्सियत आज कहां हैं?”
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‘पुराने संसद में 10 साल बाद कोई नहीं टिकता
शिवसेना सांसद ने अपने लेख में लिखा, “नई इमारत गोमुखी हो इस तरह की सलाह भी ज्योतिषियों ने दी थी। ज्योतिषियों के अनुसार, नई इमारत को बनवाया गाय। एक तरफ हमारे वैज्ञानिक चांद पर पहुंच गए और उसी देश के नेता सत्ता न चली जाए इस डर से नए संसद भवन का निर्माण कराते हैं। दिल्ली में ज्योतिषाचार्य और बुआ-बाबाओं की चलती है।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली की सरकार अंधश्रद्धा और अंधभक्तों के घेरे में घूम रही है। देश चलाने वालों के मन में अंधश्रद्धा, ग्रह और कुंडली का प्रभाव है। मौजूदा संसद भवन 10 सालों बाद आपके लिए शुभ नहीं होगा। 10 साल बाद यहां कोई टिकता नहीं तो ऐसे में नए संसद भवन का निर्माण कराओ। इस तरह की ज्योतिषी सलाह मानकर नए संसद भवन का निर्माण किया गया।”
पुराना संसद भवनको और 100 सालों तक इस इमारत को कुछ नहीं होता – संजय राउत
संजय राउत ने आगे कहा, “पुराना संसद भवन शान से दिल्ली में खड़ा है और कम से कम 100 सालों तक इस इमारत को कुछ नहीं होता, लेकिन पीएम मोदी के मन में आया और इस ऐतिहासिक इमारत को ताला लगा दिया।” संजय राउत ने कहा कि जब मैं वहां पहुंचा तो दुविधा थी, क्योंकि नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक ही दरवाजा है।
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए संजय राउत ने आगे कहा, “पुराना संसद भवन व्यवस्थित है, लेकिन उन्होंने सामने एक सौत खड़ी कर दी और सरकारी तिजोरी से 20 हजार करोड़ रुपये लुटा दिए। संसद भवन एक प्रेरणादायक और तेजस्वी इमारत होती है। ऐसी इमारतें जर्जर नहीं होतीं। उन्हें अनुपयोगी घोषित करना यानी भारत माता को वृद्ध बताकर बृद्धाश्रम में डालने जैसा है।”