बिहार में जाति-आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी हो गई है। बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है, राज्य के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े सामने आने के बाद कहा कि देश के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है और जिनकी जितनी आबादी है, उन्हें उनका उतना हक मिलना चाहिए। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ़ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!”
- पिछड़ा वर्ग(OBC): 63%
- अनुसूचित जाति (SC): 19.65%
- अनुसूचित जनजाति (ST): 1.68%
- ब्राह्मण: 3.6%
- राजपूत: 3.45%
- भूमिहार: 2.89%
- कायस्थ: 0.60%
- यादव: 14.26%
- कुर्मी: 2.87%
- तेली: 2.81%
- मुसहर: 3.08%
- सोनार: 0.68%
बिहार की कुल आबादी में 81.99% हिंदू हैं, केवल 17.7% लोग मुस्लिम हैं, और बाकी ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और अन्य धर्मों के अनुयायी एक ही फीसदी से भी कम हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति-आधारित जनगणना की टीम को बधाई दी है और इस काम की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह जानकारी न केवल जातियों के बारे में बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति के बारे में भी मददगार होगी और सभी वर्गों के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण होगी।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में स्वागत किया है और इसे गांधी जयंती पर एक उदाहरण स्थापित करने के रूप में दर्शाया है। वे इसे वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के लिए उनके समृद्धि और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
जाति-आधारित जनगणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई !
आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई !
जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।
बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।
लालू ने ट्वीट किया
लालू ने ट्वीट किया, “सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो। केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएँगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे।”