अहमदाबाद सिविल मेडिसिन में कार्यरत गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट (GCRI) के एक डॉक्टर ने दो इंजीनियरों की मदद से इंटेलिजेंस बायोप्सी गन बनाई है। इस बायोप्सी गन की मदद से बायोप्सी के लिए बोन मैरो और टिश्यू लेने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इतना ही नहीं इस अनोखे डिवाइस का मार्च महीने में पेटेंट भी कराया जा चुका है। जो अगले तीन महीने में बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।
शहर के एक डॉक्टर ने दो इंजीनियरों के साथ मिलकर एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो अस्थि बायोप्सी और अस्थि मज्जा ऊतक लेना आसान बना देगा। बायोप्सी के लिए हड्डी से ऊतक लेना आमतौर पर दर्दनाक होता है, ऐसे में टीम ने सेंसर के साथ एक स्वचालित उपकरण विकसित किया है जो एक ही बार में जांच के लिए हड्डी से सबसे अच्छा ऊतक निकालने में सक्षम होगा।
इस डिवाइस का नाम इंटेलिजेंट बायोप्सी गन है। टीम का यह भी दावा है कि यह दुनिया की पहली ऐसी डिवाइस है जो बायोप्सी के लिए अपने आप काम करती है। गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीसीआरआई) में आर्थोपेडिक कैंसर सर्जन अभिजीत सालुंके ने कहा कि हड्डी से बायोप्सी के लिए ऊतक लेना आमतौर पर दर्दनाक होता है।
आमतौर पर अनुमान के आधार पर इस टिश्यू को ड्रिल जैसी मशीन से लिया जाता है। कभी-कभी रोगी को एक से अधिक बार ऊतक लेने की आवश्यकता होती है। यह जानना आसान नहीं है कि सही ऊतक मिला है या नहीं। इसके अलावा, आसपास की नसों को नुकसान होने का खतरा होता है।
इंजीनियर डॉ. राघवेंद्र भालेराव और डॉ. इंस्टीट्यूट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड मैनेजमेंट (आईआईटी राम), अहमदाबाद। कृपा शाह ने रोगियों में हड्डी की बायोप्सी की समस्या के संभावित समाधान के रूप में एक उपकरण विकसित करने का प्रस्ताव दिया।
डॉ.सालुंके ने कहा कि, डॉ. भालेराव और डॉ. शाह (दोनों इंजीनियरों) ने तीन महीने के भीतर एक उपकरण विकसित किया जो अस्थि बायोप्सी और अस्थि मज्जा ऊतक प्राप्त करने में पूरी तरह सफल है। डॉक्टर ने दावा किया कि दुनिया में अब तक ऐसा कोई उपकरण नहीं है। हालांकि सेंसर रहित मशीनें वर्तमान में चल रही हैं, सेंसर वाले उपकरण कहीं नहीं देखे जा सकते हैं।
इतना ही नहीं, बायोप्सी के लिए उपयुक्त टिश्यू भी एक बार में उपलब्ध हो जाएगा। इसी तरह यह बोन मैरो टिश्यू जो कि हड्डी के बीच में होता है, को लाने में भी पूरी तरह से सफल होगा। मरीजों को कम परेशानी होगी।
गुजरात कैंसर अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. शशांक पंड्या ने कहा, इस तरह की आधुनिक डिवाइस से एक बार में हड्डी से टिश्यू बायोप्सी की जा सकेगी। जिससे मरीजों का दर्द कम होगा और रिकवरी भी तेजी से होगी। बार-बार टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी.नस कटने आदि का खतरा भी कम होगा।
कुल मिलाकर इस तरह के उपकरण से मरीजों को फायदा हो सकता है। हमारे अस्पताल में हर साल औसतन 600 बायोप्सी की जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की डिवाइस बायोप्सी को सटीक, सरल और परिणामोन्मुख बनाएगी।