- एक वर्ष तक गुजराती भाषा नहीं पढ़ाने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द होगी
राज्य में किसी भी शैक्षिक बोर्ड से मान्यता प्राप्त या किसी भी माध्यम में पढ़ाने वाले स्कूलों को कक्षा 1 से 8 तक गुजराती विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा। इस मामले में मंगलवार को विधानसभा में गुजरात अनिवार्य गुजराती भाषा की शिक्षा और अध्ययन विषयक विधेयक-2023 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
गुजराती मुद्दे पर कांग्रेस नेताओंने की आलोचना
हालांकि, अमित चावड़ा, अर्जुन मोढवाडिया, शैलेश परमार सहित कांग्रेस नेताओं ने गुजराती मुद्दे पर देर से कदम उठाने के लिए सरकार की आलोचना की। अमित चावड़ा ने कहा कि 13 अप्रैल 2018 को गुजरात सरकार ने सभी स्कूलों को गुजराती विषय की पढ़ाई का परिपत्र जारी किया था, इसके बावजूद स्कूल गुजराती विषय का अध्ययन नहीं कराते थे। वहीं दूसरी ओर सरकार इसे सख्ती से लागू नहीं करा रही थी। इसलिए, आखिरकार उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई और सरकार को गुजराती भाषा को अनिवार्य करने के लिए विधेयक लाना पड़ा।
गुजरात के बाहर के छात्रों को मिल सकती है इससे छूट
स्कूल उन छात्रों को छूट दे सकता है जो गुजरात के बाहर के निवासी हैं और माता-पिता के लिखित अनुरोध पर गुजरात के एक स्कूल में पढ़ रहे हैं। छूट प्राप्त विद्यालयों के अलावा अन्य विद्यालयों पर प्रथम उल्लंघन पर 50 हजार रुपए, द्वितीय उल्लंघन पर एक लाख रुपए एवं तृतीय उल्लंघन पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। अगर कोई स्कूल एक वर्ष से अधिक समय तक उल्लंघन करता है तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।