ऑस्कर 2023 में भारत को दो पुरस्कार मिले हैं. ‘नाटू-नाटू’ ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का पुरस्कार जीता है. इस गाने को बनाने वाले किरावानी, कालभैरव और सिपलीगंज के बारे में जानिए . ‘नाटू-नाटू’ सिंगर राहुल सिपलीगंज और कालभैरव की यात्रा एक ही साथ शुरू हुई. राहुल एक बहुतही साधारण परिवार से आए और प्रसिद्ध हुए. और कालभैरव ईक सेलिब्रिटी परिवार से आते हैं, लेकिन उन्होंने सफ़र की शुरुआत सामान्य तरीके से की.
इस गाने को रचने वाले एमएम किरावानी का नाम तेलुगू ऑडियंस के लिए अनजाना नहीं है. इनका पूरा नाम कोडुरी मरकटामणि किरावानी है. इनके पिता ने ही फ़िल्म ‘बाहुबली’ का ममताला टल्ली गाना लिखा है.
ईस गाने को लेकर एमएम किरावानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘सुरीले गाने ही हिट होते हैं और सुर ही सफलता हासिल करने की ताक़त है. बीट वाले गाने डांस और बीट की वजह से हिट हो जाते हैं और मेलोडी वाले गाने सिर्फ़ मेलोडी की वजह से हिट हो जाते हैं.’
नाटू-नाटू’ राहुल सिपलीगंज का सफ़र
हैदराबाद के ‘मंगल हाट’ झुग्गी में एक साधारण परिवार में जन्मे राहुल सिपलीगंज को बचपन से ही म़्यूजिक पसंद था. बचपन में जब वो ‘मायादरी मैसम्मा..’ गाना गाते थे तब पूरी गली उन्हें सुनती थी.
तब मंगल हाट में राहुल सिपलीगंज एक स्थानीय स्तर पर ही लोकप्रिय थे. उन्होंने पंडित विट्ठल राव से संगीत और ग़ज़लें सीखीं. राहुल सिपलीगंजने ‘माकी किरीकिरा’, ‘गली का गणेश’, ‘दावत’ जैसे गीतों में हैदराबादी संस्कृति और परंपरा को शामिल किया और हिट हो गए. कालभैरव के लिए गायक बनना आसान नहीं रहा कालभैरव की यात्रा अलग तरीके से आगे बढ़ी. वो म्यूज़िक डायरेक्टर एम.एम किरावानी के दो बेटों में से बड़े हैं. उनका पालन-पोषण साधारण तरीके से हुआ. किरावानी का मानना है कि उनके बच्चों को भी पैसे की क़ीमत पता होनी चाहिए.
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किरावानी ने अपने दोनों बेटों कालभैरव और श्रीसिम्हा को एक दिन के लिए दिहाड़ी करने के लिए यह कहते हुए भेजा, ”पूरे दिन मेहनत करो, तब तुम पैसे की क़ीमत समझोगे.”
एक प्रसिद्ध म्यूज़िक डायरेक्टर का बेटा होने के बावजूद कालभैरव के लिए गायक बनना आसान नहीं था. म्यूज़िक डायरेक्टर एमएम किरावानी ने कालभैरव के साथ भी बाकी गायकों की तरह ही बर्ताव किया. कालभैरव को पहला मौका किरावानी के छोटे भाई कल्याणी मलिक के एक धारावाहिक में मिला. उन्होंने पहली बार ‘नन्ना’ सीरियल के लिए अपनी आवाज़ दी.
उन्होंने ‘यमडोंगा’ फ़िल्म में गाया था. उस फ़िल्म के एक बिट में कालभैरव की आवाज़ सुनाई देती है. इतना ही नहीं उन्होंने उस फ़िल्म में एक छोटा-सा रोल भी किया था. उस समय वे सोलह साल के थे.
साल 2010 से कालभैरव अपने पिता के साथ काम करने लगे.
‘बाहुबली’ में ‘डंडलैया’ गाने में से कालभैरव को अलग पहचान मिली. दरअसल इस गाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. इस गाने को ख़ुद किरावानी ने गाया था. गाने का एक रफ़ ट्रैक भी रिकॉर्ड किया गया था.
कालभैरव ने स्टूडियो प्रोग्रामर की मदद से गाने की रिकॉर्ड किया और अपने पिता को सुनाया. उनके पिता किरावानी को उनका गाया गाना काफ़ी पसंद आया. इसके बाद किरावानी को ये गाना गाने के लिए दिया गया. फ़िल्म ‘अरविंदा समिता वीरा राघव’ के ‘पेनिमिटी’ गाने ने कालभैरव के करियर को अच्छी बढ़त दी. दरअसल ये गाना ही ‘नाटू-नाटू’ में उन्हें गायक के तौर पर चुने जाने का कारण था.
‘पेनिमिटी’ गाने में कालभैरव की आवाज़ फ़िल्म के नायक जूनियर एनटीआर से मेल खाती थी, इसलिए उन्हें ‘नाटू-नाटू’ में मौका दिया गया.
एमएम किरावा द्वारा गायक चुनने का दिलचस्प तरीका
एमएम किरावानी का अपने गीत के लिए सिंगर को चुनने का एक सख़्त तरीका है. गाने में किसकी आवाज सूट करेगी इसका ध्यान रखा जाता है. प्रसंग, हीरो या हीरोइन को ध्यान में रखकर आवाज़ का हर तरह से विश्लेषण किया जाता है. उसके बाद ही गाने को सिंगर के हाथ में थमाया जाता है. नाटू-नाटू गाने के लिए एमएस किरावानी को दो ट्रैक सिंगर की ज़रूरत थी. एक तो उनके घर में उनके बेटे कालभैरव थे.
इसलिए दूसरे सिंगर के तौर पर राहुल सिपलीगंज को बुलाया गया. एमएम किरावानी की आदत है कि वो गायकों को गाना देते समय ये कहते हैं कि ‘ये सिर्फ़ ट्रैक है और शायद इसे फ़िल्म में न लिया जाए.’
नाटू-नाटू गाने की रिकॉर्डिंग के समय भी उन्होंने ऐसा ही किया. गाना किस फ़िल्म का है ये बताए बग़ैर ही गाना रिकॉर्ड कर लिया.
राहुल सिपलीगंज ने नाटू-नाटू के तेलुगू वर्ज़न के साथ-साथ तमिल, कन्नड़ और हिंदी में भी गाया. कालभैरव ने इस गीत को तेलुगू और कन्नड़ भाषाओं में गाया है. तमिल और हिंदी में कालभैरव की जगह किसी दूसरे गायक ने गाया.
ऑस्कर में गाने को लेकर राहुल और कालभैरव ने क्या कहा?
लॉस एंजिलिस में 12 मार्च (भारत में 13 मार्च) को राहुल और कालभैरव ऑस्कर में लाइव परफ़ॉर्मेंस दिया है. कालभैरव ने एक इंटरव्यू में इस खुशी को ज़ाहिर करते हुए कहा था, “जिस दिन हमें पता चला कि नाटू नाटू गाने को ऑस्कर में नामांकन मिला है तब से हमारे घर में कोई नहीं सोया. ऑस्कर के मंच पर हमारे गीत को सुनना एक बड़ा सम्मान है. एक गायक को इससे अधिक और क्या चाहिए.”
राहुल सिपलीगंज ने एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे नहीं पता कि मेरे जीवन में फिर से ऐसा काम दोबारा होगा या नहीं. मुझे भी इससे ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए. सड़क पर गाने से लेकर ऑस्कर के मंच तक गाने का सफ़र एक सपना था. यह मेरे लिए जीवन भर की उपलब्धि है.” 2023 में जब ‘नाटू-नाटू’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड मिला, तब अवॉर्ड लेने के बाद स्पीच देते वक़्त म्यूज़िक डायरेक्टर एम.एम किरावानी भावुक हो गए थे. स्पीच के दौरान उन्होंने कहा था, “प्रतिष्ठित गोल्डन ग्लोब पुरस्कार प्राप्त करना बहुत ख़ुशी की बात है. यह पुरस्कार मेरे अकेले का नहीं है.”
भारतीय डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स’ ऑस्कर अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया है.
इंसानों और दूसरे जीवों के बीच रिश्तों के छुए-अनछुए पहलुओं को सामने लाने वाली इस फ़िल्म को नेटफ़्लिक्स ने जारी किया है. फ़िल्म की निर्देशका कार्तिकी गोंज़ाल्विस ने लगभग पांच सालों तक फ़िल्म में दिखाए गए हाथी ‘रघु’ और बोम्मन दंपति का जीवन देखने के बाद ये फ़िल्म बनाई.
भारतीय डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स’ ने 95वें अकादमी अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री’ श्रेणी में ऑस्कर अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया है. इस फ़िल्म का मुकाबला ‘स्ट्रेंजर ऐट द गेट’ और ‘हाउ डू यू मेज़र ए ईयर’ जैसी डॉक्यूमेंट्रीज़ से था. लेकिन ऑस्कर की शाम हाथी से गुफ़्तगू करने वाले एक भारतीय दंपति बोम्मन और बेल्ली के जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री के नाम रही. कट्टूनायकन समुदाय से आने वाले बोम्मन और बेल्ली तमिलनाडु के मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व में रहते हुए हाथियों की देखभाल करते हैं.
ट्विटर पर बधाई का सिलसिला शुरू
ऑस्कर 2023 में भारत को दो पुरस्कार मिले हैं. ‘नाटू-नाटू’ ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का पुरस्कार जीता है. और ‘द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स’ इस श्रेणी में अवॉर्ड हासिल करने की वाली पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री है. इससे पहले 1969 में ‘द हाउस दैट आनंद बिल्ट’ और 1979 में नामांकित हुई ‘एन एनकाउंटर विद फ़ेसेज़’ ये अवॉर्ड जीतने में नाकाम रही थी. इस फ़िल्म के अवॉर्ड जीतने की ख़बर आने के साथ ही सोशल मीडिया पर बधाई का सिलसिला शुरू हो गया है.