संसद के विशेष सत्र का तीसरे दिन की कार्यवाही शुरू हुई। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक, जिसे नारी शक्ति वंदन विधेयक भी कहा जाता है, पर बहस की शुरुआत हुई। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह मेरे पति राजीव गांधी का सपना था। उन्होंने इसके साथ ही जाति जनगणना की मांग भी की। सोनिया गांधी ने कहा, ‘अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने की इजाजत दी, इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से मैं नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के समर्थन में खड़ी हुई हूं।’
उन्होंने कहा कि धुंए से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाती हुए स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है। उसने जन्म दिया, उसने परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अक्सर खुद को हारते हुए, लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा।
- सरदार धाम में सभी समाज- धर्म के छात्रों को उच्च शिक्षा हेतु डॉ चितरंजन पटेल USA द्वारा छात्रवृत्ति चेक अर्पण ।
- गुज्कोमासोल सहकारी मार्केट पी पी मॉडल से स्टॉल शुरू करने 50 इंक्वायरी मिली : दिलीप संघानी
- अहमदाबाद सिविल अस्पताल द्वारा देश में सबसे पहले झूला सिस्टम शुरू की गई है
- बीजेपीके पाप का घड़ा लेकर गुजरात कांग्रेस 9 अगस्त 2024 से न्याय यात्रा निकालेगी
- गुजरात की बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ गुजरात यूनिवर्सिटी में NSUI कार्यकर्ताओं का हल्लाबोल
उन्होंने कहा कि भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है, उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरफ अडिग रही। उन्होंने कहा कि स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती। हमारे महान देश की मां है स्त्री, लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींच कर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है।
सोनिया गांधी ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान करके ही हम लोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं। आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है। वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी।
उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकर लेकिन आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है। इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है।
कांग्रेस नेता सोनिया ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, खुद मेरी जिंदगी का यह बहुत मार्मिक क्षण है। पहली दफा स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लाए थे, लेकिन राज्यसभा में सात वोटों से गिर गया था। बाद में, प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव जी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही उसे पारित कराया। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है। इस विधेयक के पारित होने के साथ ही वह पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है। हमें इसके पास होने से खुशी है, मगर इसके साथ-साथ एक चिंता भी है। उन्होंने कहा, ‘मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं और अब उन्हें कुछ वर्ष और इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। कितने वर्ष- 2, 4, 6 या 8 वर्ष? क्या भारत की महिलाओं के साथ यह बर्ताव उचित है?’
उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह विधेयक फौरन अमल में लाया जाए, लेकिन इसके साथ ही जातिगत जनगणना कराकर शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइब, ओबीसी की महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की जाए। सरकार को इसे साकार करने के लिए भी जो कदम उठाने की जरुरत है, वह उठाने ही चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस की तरफ से मैं आपके द्वारा सरकार से मांग करती हूं कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को उसके रास्ते की सारी रुकावटों को दूर करते हुए जल्द से जल्द लागू किया जाए। ऐसा करना ना सिर्फ जरूरी है, बल्कि संभव भी हैं।’