18वीं लोकसभा 2024 चुनाव दौरान नरेंद्र मोदी या अमित शाह के नाम की चर्चा से अधिक छत्रिय समाज की अस्मिता पर परषोतम रूपाला द्वारा दिया गया विवादित ब्यान बाद राजकोट से परषोतम रूपाला को हटाया जाय टोक टाउन मुद्दा बना हुआ है। चुनावी मौसम में राजपूत समाज के परिवारों में 2000 से अधिक शादियां आयोजित होने का अंदाज लया जा रहा है,समाज की शादी में लोक डायरा, माध्यम से समाज को केंद्रीय मंत्री खिलाफ जागरूक किया जा रहा है।
आर टी आई ऐकटिवीस्ट, तेज, तरार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं किसान नेता भरतसिंह झाला ने बताया राजपूत समाज परषोतम रूपाला के विरोध तक सीमित ना रहकर भाजपा के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। परसोतम रूपाला के नाम वापसी की तारीख तक ,भाजपा अपने राजकोट प्रत्याशी का नामांकन वापिसी नहीं करवा सकी, समाज पर अभद्र बयान पर सहमति नजर आ रही है ? जिससे भाजपा के खिलाफ राजपूत अपने तरीके से लामबंद होंकर युद्ध धोष ” जय भवानी, परसोतम रूपाला को हराव” शादी में गुजा है।
सुरेंद्रनगर आसपास के जिलों में होने वाली शादियों के दौरान लोक डायरा कार्यक्रमों इस राजनीतिक मुद्दे को उठाकर समाज ऐक जूट होकर अपने अपने तरीकों से परषोतम रूपाला विरूद्ध कैम्पिंग में जुड रहा है। लोक डायरा राजपूत समाज की शादी से पहले आयोजित करना एक रीति रिवाज है जिसमें शादी में सामेल मेहमानों के अलावा गाँव की जनता सामेल हो रहें हैं और चेतना आ रही है,यह दावा किया जा रहा है।
गुजरात के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजनीति के बड़े दिग्गज जब अपनी दमक दिखा रहे हैं ,लेकिन केंद्रीय मंत्री परषोतम रूपाला के विवाह विदित बयान के चलते राजपूत समाज की नाराजगी को भाजपा ने राष्ट्रीय चुनाव समिति ने अनदेखा कर रूपाला के साथ नजर आ रही है,तब सुरेंद्रनगर गोहिल वाड क्षत्रिय समाज में राजपूती परंपराएं के साथ ,भाजपा विरोध के सुर उठने लगे हैं । समाज हर हालत में राजकोट लोकसभा सीट से परसोत्तम रुपाला की दावेदारी को वापस लेने की मांग पर अडा है । लेकिन भाजपा अपने नेता के साथ खडी़ नजर आ रही है l गुजरात में 75 लाख जन संख्या वाला राजपूत समाज की मांग पर सहानुभूति जताने के बजाय ,एक व्यक्ति बचाने खातीर भाजपा अपने पैरों पर कुहाडी मारती नजर आने का दावा भरत सिंह झाला कर रहे हैं। विरोध के बावजूद केंद्रीय मंत्री का नामांकन करवाया है, इससे राजपूत समाज की नाराजगी गुजरात के गावों तक सीमित ना रहकर ।
गुजरात से बाहर राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में राजपूत पंचायतों द्वारा ऐक सुर में विरोध दर्ज करा रही है। हालांकि गुजरात में राजपूत समाज खुद बिखरा नजर आने लगा है,इसीलिए राज्य सरकार भी राजपूत नेताओं को अपने साथ रखकर, इस आंदोलन की समाप्ति की लगभग घोषणा करते हुए रूपाला द्वारा माफी मांग ली गई है, जिससे नाराजगी का सवाल नहीं है।