अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण अपने अंतिम चरण में है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर का उद्घाटन होगा और प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। लेकिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने तक की यात्रा कठिन रही है। रामजन्मभूमि पर मस्जिद के निर्माण से लेकर वापस राम लला के भव्य श्री राम मंदिर बनने तक लगभग पांच सदियों तक चली। वाद-विवाद से शुरू हुई कहानी वर्षों-बरस कोर्ट की फाइलों में घूमती रही, आखिरकार जब सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दी तो भगवान राम के भक्तों ने चैन की सांस ली। आज 6 दिसंबर के दिन हम अयोध्या की इसी टाइमलाइन को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। क्योंकि आज ही के दिन, अर्थात 6 दिसंबर 1992 को, अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया था।
कई वर्षों तक चली विवादित भूमि पर अब मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है। यह श्री राम मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म के महत्त्वपूर्ण प्रतीक के रूप में माना जाएगा। राम मंदिर के निर्माण का यह प्रक्रियात्मक कदम भगवान राम के भक्तों के लिए अत्यंत गर्व की बात है। यह निश्चित रूप से भारतीय समाज के एक नए अध्याय की शुरुआत को सूचित करता है, जो समरसता, सामर्थ्य, और शांति की ओर बढ़ रहा है।
6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में याद किया जाता है, जिसने अपनी मार्गदर्शिका में एक नया संदेश दिया। इस नए अध्याय की शुरुआत से, देश ने एक मजबूत संवाद और समझौते की भावना को महसूस किया है, जिससे समाज में एकता और सद्भावना की भावना उत्पन्न हो रही है।
इस नए उद्घाटन के साथ, भव्य राम मंदिर अपने शिखर पर पहुंच रहा है, जिससे समाज में एक नया उत्साह और सहयोग का माहौल बन रहा है। इससे सामाजिक और धार्मिक सांस्कृतिक मानवाधिकार और सम्मान को समझने और प्रशंसा करने का संदेश दिया जा रहा है।
श्री राम मंदिर 1528 से 22 डिसेम्बर 2023 तक
- 1528: अयोध्या में श्री राम मंदिर तोड़ कर बाबरने एक मस्जिद बनाई, तत्कालीन मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी. यही कारण रहा होगा कि इस मस्जित का नाम बाबरी मस्जिद रखा गया.
- 1853: दस्तावेजों के अनुसार पहली बार हिंदुओं ने आरोप लगाया कि भगवान राम की जन्मभूमि में मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ है. इस मुद्दे पर पहली बार हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई.
- 1885: अभी भारत में अंग्रेजों का शासन था और मामला पहली बार कोर्ट पहुंचा. महंत रघुवरदास ने तत्कालीन फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राममंदिर निर्माण के लिए अनुमति मांगते हुए याचिक दाखिल की. इसके बाद इस संबंध में ज्यादा कुछ नहीं हुआ और 6 दशक से ज्यादा समय तक मामले में एक तरह से धूल पड़ती रही.
- 23 दिसंबर 1949: देश आजाद हो चुका था. इस दिन कथित तौर पर 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय सथल पर भगवान राम की मूर्ति रखी. अब हिंदू यहां पर नियमित रूप से भगवान राम की पूजा करने लगे और मुस्लिमों ने यहां नमाज पढ़ना बंद कर दिया. बाद में सरकार ने यहां ताला लगा दिया.
- 17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने की मांग रखते हुए मुकदमा दायर किया.
- 18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस मामले में एंट्री ली और विवादित स्थल के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दर्ज कराया.
- 1984: विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने विवादित स्थल का ताला खोलने की मांग करते हुए एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान की शुरुआत की. VHP ने एक समिति का गठन भी किया.
- 01 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश के फैसले ने हिंदुओं को राहत दी. क्योंकि उन्होंने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. फैसले के बाद विवादित ढांचे का ताला दोबारा खोला गया. इससे नाराज मुसलमानों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
- 01 जुलाई 1989: यही वह दिन था, जब भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवां मुकदमा दर्ज किया गया.
- 09 नवंबर 1989: उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की सरकार ने विवादित स्थल के पास ही राममंदिर शिलान्यास की इजाजत दे दी.
- 06 दिसंबर 1992: यह वह दिन था, जिसके लिए रामंदिर आंदोलन सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है. इस दिन हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे और आयोजकों का भीड़ पर से नियंत्रण खत्म हो गया. देखते ही देखते कारसेवक विवादित ढांचे के गुंबद पर चढ़ गए और उसे ढहा दिया.
- बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने की घटना से देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे. इसी दौरान जल्दबाजी में एक अस्थायी राममंदिर बनाया गया और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुननिर्माण का वादा भी किया.
- 2002 अप्रैल: विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की.
- 2005 जुलाई: विस्फोटक से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए आतंकवादियों ने विवादित स्थल पर हमला किया. सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में पांच आतंकवादियों को मार गिराया.
- 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. जिसमें विवादित स्थल को तीन बराबर हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बांटा गया.
- 21 मार्च 2017: इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की. चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने पेशकश की कि अगर दोनों पक्ष राजी हों तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता के लिए भी तैयार हैं.
- 8 फरवरी 2018: सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के लिए सिविल अपील पर सुनवाई शुरू हुई.
- 20 जुलाई 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया
- 27 सितंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को भेजने से इनकार कर दिया. तीन जजों की एक नई संविधान बेंच बनाई गई.
- 29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई की बात कही.
- 24 दिसंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए 4 जनवरी 2019 का समय तय किया.
- 4 जनवरी 2019: सुप्रम कोर्ट ने कहा कि एक संविधान पीठ बना ली गई है, यह बेंच टाइटल केस में सुनवाई को लेकर 10 जनवरी को एक ऑर्डर पास करेगी
- 8 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की एक संविधान पीठ बनाई, जिसका नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे थे. इसमें अन्य चार जज जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे.
- 10 जनवरी 2019: जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके कारण मामले की सुनवाई नई बेंच के सामने 29 जनवरी तक के लिए टाल दी गई.
- 25 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए पांच जजों की एक नई संविधान पीठ बनाई. जिसमें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल थे.
- 29 जनवरी 2019: केंद्र सरकार ने विवादित स्थल के पास 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि को मूल मालिकों को वापस करने के लिए अनुमति मांगने के वास्ते सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
- 26 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का समर्थन किया और मामले को मध्यस्त के पास भेजा जाए या नहीं, इस पर सुनवाई के लिए 5 मार्च की तारीख तय की.
- 8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाले पैनल के पास भेजा.
- 9 अप्रैल 2019: निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें उसने अधिग्रहित जमीन मूल मालिकों को वापस करने की बात कही गई थी.
- 9 मई 2019: तीन सदस्तीय मध्यस्थता कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश की.
- 10 मई 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए समय सीमा बढ़ाकर 15 अगस्त किया.
- 11 जुलाई 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी.
- 18 जुलाई 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की प्रक्रिया को जारी रखने और 1 अगस्त को रिपोर्ट पेश करने को कहा.
- 1 अगस्त 2019: मध्यस्थता कमेटी ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की.
- 2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की कोशिशें फेल होने के बाद इस मामले में 6 अगस्त से दैनिक आधार पर सुनवाई शुरू करने का निर्णय लिया.
- 6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद मामले में दैनिक आधार पर सुनवाई शुरू की.
- 4 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाएगा. साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह राज्य वक्फ बोर्ड अध्यक्ष को सुरक्षा मुहैया करवाए.
- 16 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
- 9 नवंबर 2019: सुप्रीम ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि की पूरी 2.77 एकड़ जमीन भगवान राम लला को देने का फैसला सुनाया. इसका मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास रहेगा. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन किसी अच्छी जगह पर दें.
- 5 अगस्त 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन में हिस्सा लिया. इस तरह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई.
- 22 जनवरी 2024: अयोध्या में बनकर तैयार हुए भव्य राममंदिर का उद्घाटन और मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी. मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालीग्राम लाए गए हैं.