अदाणी समूह और हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। अदाणी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों की सुरक्षा के लिए नियामक तंत्र से संबंधित मुद्दे से निपटने के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। कोर्ट ने निवेशकों की सुरक्षा के लिए नियामक तंत्र से संबंधित समिति के गठन पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को भी जांच करने का निर्देश दिया कि क्या सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है? क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है? सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने के भीतर जांच करने और स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने समिति को दो महीने में सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति का अधिकार ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाना, अदाणी विवाद की जांच करना और वैधानिक ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाना होगा। SC ने SEBI को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समिति को सभी जानकारी उपलब्ध करायी जाए।
इससे पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने 17 फरवरी को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने केंद्र की तरफ से विशेषज्ञों के नाम वाले सुझाव सीलबंद लिफाफे में लेने से इनकार कर दिया था। पीठ का तर्क था कि वह निवेशकों की सुरक्षा के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुनवाई के दौरान सेबी की ओर पेश हुए सॉलिसीटर जनरल ने कमेटी के सदस्यों के नाम और उसके अधिकार पर जजों को सुझाव सौंपे थे। सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि हम चाहते हैं कि इस मामले में सच बाहर आए पर बाजार पर इसका असर न पड़े। किसी पूर्व जज को निगरानी का जिम्मा सौंपने पर कोर्ट को फैसला लेना चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा था कि आपने जो नाम सौंपे हैं, वह दूसरे पक्ष को न दिए गए तो ये पारदर्शिता नहीं होगी। हम इस मामले में पूरी पारदर्शिता चाहते हैं इसलिए हम अपनी तरफ से कमेटी बनाएंगे।
बता दें कि अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से बीते 24 जनवरी को अदाणी समूह से संबंधित एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इस रिपोर्ट में अदाणी समूह के संबंध में शेयरों की कीमत गलत तरीके से बढ़ाने और वित्तीय गड़बड़ियों के दावे किए गए थे। हालांकि अपने ऊपर लगे आरोपों को अदाणी समूह ने खारिज कर दिया था। उसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुचा था।