“नो टिलक नो एंट्री” वडोदरा में माथे पर तिलक होने पर गरबा में प्रवेश देने का मामला सामने आया है। वडोदरा नवरात्रि फेस्टिवल (वीएनएफ) के आयोजकों ने इस साल ग्राउंड पर बोर्ड लगाया है कि इसमें लिखा गया है कि ‘नो तिलक-नो इंट्री’। जैसे बरोडामें नो टिलक नो एन्ट्री का नियम लागु किया गया एसेही क्क्या ये पुरे गुजरातमें लागुं नहीं होना चाहिए।गुजरात के सभी नवरात्री संचालकों को ये नियम लागु करना चाईये ताकी नवरात्री के दौरान माँ की भक्ति बनी रहे और असामाजिक तत्त्वों जो नवरात्रीमें माँ की भक्ति नहीं पर सिर्फ़ मोज करने आने वाले लोगों पर रोक अपने आप ही लगे…
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नवरात्रि के पहले दिन के साथ ही गुजरात में आज से गरबा की शुरुआत होने जा रही है। इसके लिए राज्य के तमाम बड़े शहरों में बड़े स्तर गरबा आयोजन की तैयारी की गई हैं, लेकिन इस सब के बीच वडोदरा में माथे पर तिलक होने पर गरबा में प्रवेश देने का मामला सामने आया है। “नो टिलक नो एंट्री” वडोदरा नवरात्रि फेस्टिवल (वीएनएफ) के आयोजकों ने इस साल ग्राउंड पर बोर्ड लगाया है कि इसमें लिखा गया है कि ‘नो तिलक-नो इंट्री’। आयोजकों की तरफ ग्राउंड पर लगाया इंट्री से जुड़े इस बोर्ड की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। कुछ दिन पहले अहमदाबाद में जब विश्व हिंदू परिषद् और बजरंग दल की शौर्य यात्राएं संपन्न हुई थी। तब आयोजकों से लव जेहाद मुक्त गरबा सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। इसके बाद गुजरात के वडोदरा में आयोजकों माथे पर तिलक लगा होने पर ही गरबा में प्रवेश की अनुमति का फैसला किया है।
“नो टिलक नो एंट्री” : आधार कार्ड से जांच, गौमूत्र का तिलक
गरबा को लव जेहाद मुक्त रखने के लिए हिंदू संगठनों की तरफ आयोजकों की चेतावनी दी गई थी, कि वे गरबा खेलने वाले आने वाले युवक-युवतियों की आधार कार्ड से जांच करें और सुनिश्चित करें कि उनके माथे पर गौमूत्र वाला तिलक लगा हो। तभी उनको प्रवेश दिया जाएगा। हिंदू संगठनों गरबा आयोजकों के सजावट और टेंट समेत दूसरे कामों का ठेका समुदाय विशेष को देने पर नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि ऐसे में सिर्फ एक ही धर्म के लोगों का प्रवेश कैसे सुनिश्चित हो पाएगा? हिंदू संगठनों की चेतावनी के बाद ही वडोदरा नवरात्रि फेस्टिवल के आयोजकों ने यह फैसला लिया है। वडोदरा के इसके अलावा यूनाइटेड वे और लक्ष्मीविलास पैलेस में हेरीटेज गरबा का आयोजन किया जाता है।
No-Tilak-No Entry अंबाजी में अलग-अलग गरबा
गुजरात के अंबाजी मंदिर प्रबंधन ने इस बार नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव शुरू होने के साथ एक बड़ा बदलाव किया है। इस उत्सव में पुरुषों और महिलाओं के लिए गरबा करने के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित किए गए हैं। इस साल यह पहली बार है कि पुरुष और महिलाएं एक साथ नृत्य नहीं करेंगे। मंदिर के पीतल द्वार के बाहर गरबा करने के लिए पुरुषों को स्थानांतरित किया जाएगा। एक अभूतपूर्व निर्णय में मंदिर प्रबंधन ने घोषणा की है कि अंबाजी मंदिर के चाचर चौक में गरबा प्रदर्शन विशेष रूप से महिलाओं के लिए आरक्षित होगा। पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार निर्धारित किये जाएंगे। परंपरागत रूप से, भक्त अंबाजी मंदिर में गरबा समारोह में भाग लेने के लिए चाचर चौक में इकट्ठा होते हैं। चाचर चौक में प्रवेश पाने के लिए उपस्थित लोगों को पहचान प्रमाण के रूप में अपना आधार कार्ड प्रस्तुत करना होगा। गेट नं. 7 (वीआईपी) में केवल महिलाओं और बच्चों को प्रवेश की अनुमति होगी, जबकि पुरुष मुख्य द्वार से उत्सव में प्रवेश करेंगे। नई व्यवस्था 16 अक्टूबर से प्रभावी होने वाली है, जिसमें मंदिर ट्रस्ट नवरात्रि उत्सव के हिस्से के रूप में रविवार को मंदिर परिसर के भीतर गरबा का आयोजन करेगा।