यूनिफॉर्म सिविल कोड UCC का मतलब क्या है। भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून. अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे.
पीएम मोदी ने UCC का मतलब समजाते हुए देश के लिए जरुरी बताया
पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए UCC को देश के लिए जरूरी बताया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत दो कानूनों पर नहीं चल सकता और भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. उन्होंने कहा, ”हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पाएगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?”
पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए UCC को देश के लिए जरूरी बताया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत दो कानूनों पर नहीं चल सकता और भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. पीएम मोदी के इस बयान पर सियासी घमासान मच गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समान नागरिक संहिता (UCC) पर दिए बयान के बाद से देशभर में सियासी घमासान मच गया है. इस मुद्दे पर सियासी दल भी दो गुटों में बंटते नजर आ रहे हैं. जहां दिल्ली-पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने समान नागरिक संहिता को सैद्धांतिक समर्थन देने का ऐलान किया. तो वहीं, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मुखालफत पर उतर आए और पीएम मोदी पर राजनीतिक लाभ के लिए UCC का मुद्दा उठाने का आरोप लगा रहे हैं. इसके साथ ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी UCC का कड़ा विरोध किया. वहीं, शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने UCC पर न्यूट्रल रुख अपनाते हुए कहा कि हम इसका न विरोध करेंगे और न समर्थन.
आम आदमी पार्टी का सैद्धांतिक समर्थन
इस बयान के एक दिन बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि वह समान नागरिक संहिता (UCC) का सैद्धांतिक समर्थन करती है. AAP के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने कहा कि आर्टिकल 44 भी यह कहता है कि UCC होना चाहिए, लेकिन आम आदमी पार्टी का यह मानना है कि इस मुद्दे पर सभी धर्म और राजनीतिक दलों से बातचीत होनी चाहिए. सबकी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए.
शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे का भी UCC का समर्थन
पीएम मोदी के बयान से पहले लॉ कमीशन ने UCC पर धार्मिक संगठनों और जनता की राय मांगी थी. लॉ कमीशन के इस कदम के बाद शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे ने भी UCC का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं, लेकिन जो लोग इसे ला रहे हैं, उन्हें ये नहीं सोचना चाहिए कि इससे सिर्फ मुसलमानों को परेशानी होगी, बल्कि इससे हिंदुओं को भी दिक्कत होगी और कई सवाल उठेंगे.
UCC पर शरद पवार की पार्टी भी विपक्षी खेमे से अलग खड़ी नजर आ रही है. पार्टी ने कहा है कि वे UCC का न तो समर्थन करेगी और न ही इसका विरोध. एनसीपी राष्ट्रीय सचिव नसीम सिद्दीकी ने कहा, यूसीसी का तुरंत विरोध नहीं होना चाहिए. इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है. दुनिया के कई देशों में सभी के लिए एक जैसा कानून है. ऐसे कानूनों में महिलाओं को समान अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं इसलिए विरोध नहीं होना चाहिए. एनसीपी ने कहा, हम लॉ कमीशन को अपनी सिफारिशें भेजेंगे.
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पीएम मोदी ने UCC का दांव ऐसे वक्त पर खेला, जब हाल ही में पटना में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष ने एकजुटता की कोशिश में बैठक की थी. अब UCC के मुद्दे पर विपक्ष बिखरता नजर आ रहा है. इस पर विपक्षी पार्टियों का अलग अलग रुख सामने आ रहा है. जहां आम आदमी पार्टी और उद्धव गुट की शिवसेना ने इसे समर्थन देने की बात की है. तो वहीं, इस मुद्दे पर शरद पवार न्यूट्रल नजर आ रहे हैं. ऐसे में AAP, NCP और शिवसेना का रुख यह संकेत दे रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने का प्रयास कर रहे विपक्षी दल संवेदनशील मुद्दों पर एक पृष्ठ पर नहीं हैं. UCC पर विपक्ष का एक राय न होना, लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट विपक्ष की कोशिश को बड़ा झटका माना जा रहा है.
कौन कौन समान नागरिक संहिता (UCC) के विरोध में है।
कांग्रेस, टीएमसी, जदयू, राजद, AIMIM, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सपा, डीएमके ने मोदी सरकार की आलोचना
UCC के मुद्दे पर कांग्रेस, टीएमसी, जदयू, राजद, AIMIM, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सपा, डीएमके ने मोदी सरकार की आलोचना की है. उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी दल भाजपा को सार्वजनिक मुद्दों से ध्यान भटकाने नहीं देंगे. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पीएम मोदी को पहले देश में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर हिंसा के बारे में जवाब देना चाहिए. समान नागरिक संहिता पर उनका बयान इन मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है.
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी हमेशा हिंदू-मुस्लिम दृष्टिकोण से क्यों सोचती है? छत्तीसगढ़ में आदिवासी हैं. उनकी रूढ़ियों और उनके नियमों का क्या होगा, जिनके माध्यम से उनका समाज संचालित होता है. अगर समान नागरिक संहिता लागू हो गया तो उनकी परंपरा का क्या होगा?
UCC के मुद्दे पर औवैसी का विरोध
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री भारत की विविधता और इसके बहुलवाद को एक समस्या मानते हैं. इसलिए, वह ऐसी बातें कहते हैं. शायद भारत के प्रधानमंत्री को अनुच्छेद 29 के बारे में नहीं पता. क्या आप UCC के नाम पर देश से उसकी बहुलता और विविधता को छीन लेंगे?
दारुल उलूम देवबंद के मदनीने भी किया विरोध
दारुल उलूम देवबंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, ये (बीजेपी) चाहते हैं कि मुसलमानों की मजहबी आजादी को छीन ले और वही हो रहा है. अरशद मदनी ने कहा, जब लॉ कमीशन ने लोगों से राय मांगी है, ऐसे वक्त पर प्रधानमंत्री मोदी ने ये बयान दिया. अब लॉ कमीशन इस मामले में क्या करेगा. अब मुसलमान इस मामले में क्या कर सकते हैं? अपनी राय देने के अलावा. हम मुसलमानों से कहेंगे कि वे सड़कों पर न उतरें, अपनी बात लॉ कमीशन के सामने रखें. मदनी ने कहा, जब पीएम ने मंच से ये कह दिया कि UCC लागू होगा, तो लॉ कमीशन इसके खिलाफ कैसे जा सकता है?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) भी समान नागरिक संहिता के विरोध में है. एआईएमपीएलबी के सदस्य खालिद रशीदी फिरंगी महली का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से सिर्फ मुसलमानों को नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोगों को भी नुकसान है. सिखों ने भी इसका विरोध किया. राय मशवरा करने के लिए जो एक महीने का वक्त दिया गया है, यह बहुत ही कम है. हम लगातार इसके विरोध में हैं. हुकूमत को मुल्क के सामने जो मसले हैं, उन पर ध्यान देना चाहिए ना कि ऐसे कानून को लाना चाहिए जिससे लोगों में बेचैनी पैदा हो. संविधान ने हमें अपने धर्म पर अमल करने की छूट दी है. अगर यह लागू होता है तो सबसे बड़ी दिक्कत होगी कि जो हमारे पारिवारिक मामले होते हैं-शादी का मसला हो, तलाक का मसला हो, जमीन का मसला हो, इन सब पर यह कानून असर डालेगा.